भारतीय मूल का छात्र बना टॉप अमेरिकी यंग साइंटिस्ट
भाषा| Oct 22, 2014, 11.23AM IST
वॉशिंगटन
भारतीय मूल के एक अमेरिकी छात्र ने 'अमेरिकाज टॉप यंग साइंटिस्ट' (अमेरिका के शीर्ष युवा वैज्ञानिक) का पुरस्कार जीता है। उन्हें यह पुरस्कार पर्यावरण के अनुकूल उपकरण बनाने के लिए दिया गया है। इस छात्र का बनाया उपकरण घरों में बिजली आपूर्ति के दौरान कार्बन फुटप्रिंट में कटौती करता है।
पीट्सबर्ग निवासी नौवीं कक्षा के छात्र साहिल दोषी को 2014 डिस्कवरी एजुकेशन 3 एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज का विजेता बनने के लिए अंतिम दौर में नौ छात्रों से कॉम्पीट करना पड़ा था। इस पुरस्कार के तौर पर 25 हजार डॉलर और कोस्टा रिका जैसे किसी स्थान की रोमांचक यात्रा करने को मिलती है।
डिस्कवरी एजुकेशन एंड 3 एम ने एक बयान में कहा कि साहिल द्वारा तैयार प्रोटोटाईप- द पोलूसेल कार्बन डाई ऑक्साइड को बिजली में बदलता है और स्वदेशी तरीके से घरों एवं विकासशील देशों के लिए बिजली देते हुए कार्बन फुटप्रिंट में कटौती करने में मददगार होता है। बयान में कहा गया कि दुनियाभर में बिजली की कमी और जहरीले वायु प्रदूषण से जूझते 1.2 अरब लोगों की समस्या को समझते हुए दोषी ने उर्जा संग्रहण का एक ऐसा उपकरण बनाने का संकल्प किया, जो बिजली के जरुरतमंद लोगों के लिए बिजली बनाने के साथ-साथ हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों को भी कम कर सके।
डिस्कवरी एजुकेशन के अध्यक्ष एवं सीईओ बिल गुडविन ने कहा, 'हमें 3एम के साथ साहिल और इस साल अंतिम चरण तक पहुंचे अन्य प्रतिभागियों को उनके समर्पण एवं नवोन्मेषी सोच के लिए मुबारकबाद देते हुए खुशी हो रही है। मुझे यकीन है कि आने वाले सालों में ये समाज पर एक अर्थपूर्ण प्रभाव छोडेंगे।' दूसरे प्रतिभागियों में तीसरे नंबर पर वर्जीनिया के जयकुमार रहे। उन्होंने खिड़की पर लगने वाले वायु शोधन तंत्र का विकास किया, जो नुकसानदायक प्रदूषकों को घर के अंदर दाखिल होने से रोकता है।
भारतीय मूल के एक अमेरिकी छात्र ने 'अमेरिकाज टॉप यंग साइंटिस्ट' (अमेरिका के शीर्ष युवा वैज्ञानिक) का पुरस्कार जीता है। उन्हें यह पुरस्कार पर्यावरण के अनुकूल उपकरण बनाने के लिए दिया गया है। इस छात्र का बनाया उपकरण घरों में बिजली आपूर्ति के दौरान कार्बन फुटप्रिंट में कटौती करता है।
पीट्सबर्ग निवासी नौवीं कक्षा के छात्र साहिल दोषी को 2014 डिस्कवरी एजुकेशन 3 एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज का विजेता बनने के लिए अंतिम दौर में नौ छात्रों से कॉम्पीट करना पड़ा था। इस पुरस्कार के तौर पर 25 हजार डॉलर और कोस्टा रिका जैसे किसी स्थान की रोमांचक यात्रा करने को मिलती है।
डिस्कवरी एजुकेशन एंड 3 एम ने एक बयान में कहा कि साहिल द्वारा तैयार प्रोटोटाईप- द पोलूसेल कार्बन डाई ऑक्साइड को बिजली में बदलता है और स्वदेशी तरीके से घरों एवं विकासशील देशों के लिए बिजली देते हुए कार्बन फुटप्रिंट में कटौती करने में मददगार होता है। बयान में कहा गया कि दुनियाभर में बिजली की कमी और जहरीले वायु प्रदूषण से जूझते 1.2 अरब लोगों की समस्या को समझते हुए दोषी ने उर्जा संग्रहण का एक ऐसा उपकरण बनाने का संकल्प किया, जो बिजली के जरुरतमंद लोगों के लिए बिजली बनाने के साथ-साथ हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों को भी कम कर सके।
डिस्कवरी एजुकेशन के अध्यक्ष एवं सीईओ बिल गुडविन ने कहा, 'हमें 3एम के साथ साहिल और इस साल अंतिम चरण तक पहुंचे अन्य प्रतिभागियों को उनके समर्पण एवं नवोन्मेषी सोच के लिए मुबारकबाद देते हुए खुशी हो रही है। मुझे यकीन है कि आने वाले सालों में ये समाज पर एक अर्थपूर्ण प्रभाव छोडेंगे।' दूसरे प्रतिभागियों में तीसरे नंबर पर वर्जीनिया के जयकुमार रहे। उन्होंने खिड़की पर लगने वाले वायु शोधन तंत्र का विकास किया, जो नुकसानदायक प्रदूषकों को घर के अंदर दाखिल होने से रोकता है।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकाराय इदं शरीरम्।।
( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over think of them as Sand paper.They Scratch & hurt you, but in the end you are polished and they are finished. ''
யாம் பெற்ற இன்பம்
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