शरीफ खानदान का हूँ और अपनी बीवी को भी हमेशा सुखी रखूँगा यह मेरा वादा है।
ऐसे हालात में जो भी लड़की मुझसे शादी करना चाहे हाँ कर सकती है"
दस लड़कियों के रिश्ते आये और फक्कड़ की बातों को सुनकर उनको पागल समझकर चले गये।
ग्यारवां रिश्ता एक संम्पन्न परिवार का आया।
उसे मिश्रा जी की साफदिली ऐसी भाई कि उसने रिश्ते के लिये हाँ कर दी।
शादी भी सादगी के साथ हो गयी। एक दिन लड़की की सहेली उससे मिलने उसके घर आयी।
घर बहुत आलीशान था। उसकी सहेली को पता चला कि यह उन्हीं मिश्राजी का घर है जिनका रिश्ता उसने भी ठुकरा दिया था।
उसने अपनी
#सहेली से पूछ ही लिया "अरे , ये तुम लोगों के पास इतनी दौलत कहाँ से आ गयी ? वो तो कहते थे कि उनके पास बस एक अँगूठी के सिवा कुछ भी नहीं है ?"
"हाँ सही कहते थे। उसने जवाब दिया। "पर वो उनकी खानदानी अँगूठी थी और उस अँगूठी की कीमत थी दो करोड़ रुपये।
यह बात
#मिश्राजी को अच्छी तरह पता थी पर वो तो ऐसी लड़की की तलाश में थे जो उनकी दौलत को नहीं उन्हें देखकर शादी करे।
अँगूठी बेचकर हमने यह घर खरीदा, एक होटल खरीदा जिसकी देखभाल मैं करती हूं और बाकी पैसा इनके व्यापार को ठीक करने में लगा। अब हम लोग बहुत संपन्न हैं।"
वो मन ही मन सोच रही थी कि उसने अंजाने में एक नहीं दो दो हीरों को ठुकरा दिया था। एक अँगूठी में लगे हीरे को और दूसरा उस
#अँगूठी को पहनने वाले हीरे को।
"इस खुबसूरत कहानी का सार क्या है शायद आप सभी समझ गये होगे..."
--एडमिन ♥♥
शोभित --
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