जिस दिन NDTV वाली बरखा दत्त अपना तामझाम लेकर श्रीनगर पहुंची थी उसके 24 घंटे के भीतर ही भारतीय सेना के जवानों पर पत्थर गुम्मे बरसने लगे.?
वो श्रीनगर पहुंचकर किस से किस से मिली थी.?
और वहां मोबाईल पर उसने किससे किससे बात की.?
क्या यह आस्तीन की सांप है ?
इसकी जांच अगर कठोरता हो जाए तो इसमें बुराई क्या है.?
वैसे भी कारगिल युद्ध में दुश्मन पाकिस्तान को रात में इशारा करके भारतीय सेना के कई अफसरों और जवानों को मरवाने का आरोप बरखा दत्त पर किसी और ने नहीं बल्कि उसी कारगिल युद्ध में अपना खून बहाने वाले फौजियों ने लगाया था. लेकिन आरोपों की जांच खत्म होते होते यूपीए सरकार आ गयी थी और बरखा को क्लीन चिट मिल गयी थी. यह भी सर्वविदित है कि कश्मीर के अलगाववादियों के बीच बरखा दत्त बहुत लोकप्रिय भी है. क्योंकि उसने जो दो शादियां कि वो दोनों ही शादियां कश्मीरी मुसलमानों से की.
बरखा ने दूसरी शादी हसीब द्राबू नाम के जिस कश्मीरी मुस्लमान से की थी उसको जम्मू कश्मीर बैंक के चेयरमैन के पद से इसलिए इस्तीफा देना पड़ा था, क्योंकि IB ने अलगाववादियों के साथ उसके अपरोक्ष संबंधों की बात कही थी.
मैं यह बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जिस श्रीनगर में लोग लगातार 5 दिनों तक भारतीय सेना के राहत कार्यों की जय जयकार खुलकर कर रहे थे उसी श्रीनगर में छठें दिन से कुछ लोग अचानक ही पत्थर गुम्मे क्यों बरसाने लगे.?
एक बात ध्यान रखिये कि कोई कितना भी हरामी क्यों ना हो, लेकिन यदि अपने बाल बच्चों के साथ 5-6 दिनों से भूखा प्यासा तड़प रहा हो और उसके पास छठवें दिन यदि कोई खाने पीने का सामान लेकर पहुँच जाए तो वो उसपर गुम्मे पत्थर तो नहीं ही बरसायेगा.
'' When people hurt you Over and Over think of them as Sand paper.They Scratch & hurt you, but in the end you are polished and they are finished. ''
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