Friday, 3 January 2014

असली मर्द तो वह है जो मुसीबत में भी हंस सके|

अरब देश की बात है| एक राजा था| उसके बड़े-ठाठ-
बाट थे|
उसके पास किसी चीज की कमी न थी|
एक दिन वह राजा लड़ाई पर गया| उसके पास खाने-
पीने
का सामन इतना था कि उसे लादने के लिए तीन
सौ ऊंटों की जरूरत
पड़ी|
दुर्भाग्य से वह दुश्मन से हार गया और
बंदी बना लिया गया|
उसके पास उसका रसोइया खड़ा था|
राजा ने कहा - "मुझे भूख लगी है| कुछ खाने
को तैयार कर दो|"
रसोइए के पास मांस का एक टुकड़ा बचा था| उसने
उसे देगची में
डालकर उबलने को रख दिया| कहीं कुछ साग-
सब्जी मिल जाए
तो अच्छा होगा, यह सोचकर वह खोज में निकल
पड़ा|
इतने में एक कुत्ता वहां आया| मांस की गंध से उसने
अपना मुंह
देगची में डाल दिया| संयोग से देगची में उसका मुंह
अटक गया|
उसने मुंह निकालने की बहुत कोशिश की| जब मुंह न
निकला तो देगची को लेकर ही वह वहां से भागा|
राजा ने वह दृश्य देखा तो जोर से हंस पड़ा| पास में
एक
संतरी खड़ा था| उसने राजा की हंसी सुनी तो उसे
बड़ा अचरज
हुआ| उसने कहा - "आप इतनी मुसीबत में हैं तब
भी हंस रहे हैं|
क्या बात है?"
राजा ने जवाब दिया - "मुझे यह सोचकर हंसी आ
रही है कि कल
तक मेरे रसोई के सामान को ले जाने के लिए तीन
सौ ऊंटों की जरूरत होती थी, अब उसके लिए एक
कुत्ता ही काफी है|"
किसी ने ठीक ही कहा है कि सुख में तो सभी खुश
रहते हैं, लेकिन
असली मर्द तो वह है जो मुसीबत में भी हंस सके|

                                          ( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''

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