Friday, 23 May 2014

अब रिजर्वेशन करना होगा और भी आसान, जानिए कैसे


अब रिजर्वेशन करना होगा और भी आसान, जानिए कैसे

2014-05-23 PM 06:55:23|

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नई दिल्ली: भारतीय रेल विभाग अब यात्रियों को आरक्षण के लिए ओर बेहतर ऑन लाइन सुविधाएं मुहैया करवाने जा रहा है। सूचना और तकनीक के इस युग में यात्रियों को हाईटेक तरीके से आरक्षण करवाने की इस कवायद के चलते इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन यानि (आईआरसीटीसी) ने अपनी वेबसाइट को अपग्रेड कर मार्किट में उतारा है। इस वेबसाइट को नाम दिया गया है 'नैक्स्ट जेनरेशन ई-टिकटिंग वेबसाइट'। 

दरअसल, इससे पहले विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन होने के बाद आरक्षण के लिए यात्रियों को खासा इंजतार करना पड़ता था। परंतु अब इस अपडेट्ड वेबसाइट पर ऐसा बिल्लकुल नहीं होगा। कॉरपोरेशन ने ग्राहकों को भरोसा दिलाया है कि अब आरक्षण के लिए वेबसाइट का बिजी रहना समस्या नहीं बनेगा। इसके अलावा कोई भी ग्राहक इस वेबसाइट पर टिकटों की बुकिंग से लेकर प्रोफाइल अपडेट और लेन-देन की प्रक्रिया को एक ही यूज्जर आईडी से प्रयोग में ला सकता है। इस मर्तबा वेबसाइट अधिक व्यस्त न हो इसका हल भी आईआरसीटीसी निकाल चुकी है। हर तीन मिनट के बाद यूज्जर को लॉग आउट कर दिया जाएगा ताकि अगर समय रहते कोई भी यात्री विशेष अपना आरक्षण या अन्य प्रकार की जानकारी हासिल नहीं करता तो उसे नए सिरे से लॉग इन करना होगा। 

वेबसाइट पर बुकिंग के समय ग्राहकों को एक ही शहर के उन तमाम स्टेशनों तक आने-जाने की सुविधा रहेगी यहां पर ट्रेन का स्टॉप होगा। इस आप्शन के लिए वेबसाइट को प्रयोग में लाते हुए आपके कम्पयूटर के वाएं तरफ एक विंडो रहेगी जो आपको आपकी मर्जी का स्टेशन चुनने की सुविधा प्रदान करेगी। यात्रा किस श्रेणी में करनी है इसको चुनने की सुविधा भी ग्राहक को इसी विंडो में उपलब्ध होगी। कुल मिलाकार कहा जाए तो अब रेल का सफर समय रहते आरक्षण करने से ग्राहकों के लिए खासा आसान हो जाएगा। आईआरटीसी की इस बेवसाइट में उपभोक्ता प्रवेश जिस वेबसाइट के माध्यम से कर सकते है उनके एड्रैस इस प्रकार से हैं। 

courtesy http://www.punjabkesari.in/news/article-248219/photo/275079


 परोपकाराय फलन्ति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
 परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकाराय इदं शरीरम्।।
            
 
 
                                          ( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over
think of them as Sand paper.
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but in the end you are polished and they are finished. ''
யாம் பெற்ற இன்பம் பெருக  வையகம் 
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