हम नहीं सुधरेंगे
हम नहीं सुधरेंगे नहीं सीखेंगे इतिहास से
अपनी भूलों से , अत्याचार और शब्दों के शूलों से ,
सदियों से ग़ुलाम बने हम अपने आपसी मत बेदों से
जाती पाती सम्प्रदाय और धर्मों के बाँट ते रहे बंटते रहे
भूल गए हम अपने मूल को मूल को
प्रेम भाईचारा और सौहार्द को
हिन्दू ही था विश्व में जिस से ज्ञान का प्रकाश फैला था
प्रकाश से ही विश्व में कुछ आया था
नए नए मत धर्म पैदा हो गए हैं
जो नफरत और द्वेष को बो रहे सींच रहे हैं
जिन्होंने कर सेवकों को रेल में जला दिया
धर्म के नाम पर लाखों का नर संहार किया
आज धर्म निरपेक्ष की बातें करते हैं
सेक्युलर के नाम पर भेद भाव किया
भाई को भाई से लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध किया
क्या हम अब भी नहीं सुधरेंगे ?
इन मुखोटों में छिपे उन शैतानों को हैवानों को
सच का सामना करवाएंगे ?
अपनी सच्चाई से उनका झूट का भ्रम तोड़ेंगे ?
प्रण करें आज की हम खुद भी सुधरेंगे
औरों को भी सुधारेंगे सच को पुनः उजागर करेंगे।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकाराय इदं शरीरम्।।
( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''
யாம் பெற்ற இன்பம் பெருக வையகம்
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