Thursday, 19 December 2013

असमर्थ भाई को गोदी मेँ उठा कर ले जाती हैँ उसके कालेज उसकी बहने ..

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salute , respect dil se ,, ...,,

असमर्थ भाई को गोदी मेँ उठा कर ले जाती हैँ उसके कालेज
उसकी बहने ..

गोद में छोटा भाई चंदन है। उम्र 19 साल। दोनों पैरों से
नि:शक्त। शहर से चार किमी दूर सरकारी कॉलेज और
कोचिंग छोड़ने की रोज की जिम्मेदारी बहन प्रभा की है।
चंदन को बचपन में एक गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था।
काफी इलाज हुआ, लेकिन वह चल-फिर नहीं सका।
पिता रामसिंह राठौर ग्रेसिम में श्रमिक हैं।

कमाई का एकमात्र जरिया। बहनों ने ठाना कि वह भाई
को कमजोर नहीं पड़ने देंगी। छह बहनों सुलोचना, अवंता,
जशोदा, माया, प्रभा और भूमिका ने बारी-बारी से अपने इकलौते
भाई का साथ निभाया। अवंता, जशोदा और माया अपने भाई
को इलाज के लिए रोज उज्जैन के अस्पताल ले जाती फिर
स्कूल। उनकी शादी हो गई और वे दूसरे शहर चली गईं। फिर
प्रभा यह जिम्मेदारी निभाने लगी।

पिछले साल उसकी भी शादी हो गई। पति गुजरात में
नौकरी करता है, इसलिए वह नागदा में ही रुक गई। ताकि भाई
की मदद कर सके। जब वह चली जाएगी तो यह
जिम्मेदारी छोटी बहन भूमिका निभाएगी। चंदन बी.कॉम.
प्रथम सेमस्टर का छात्र है। बहनें उसे सीए बनाना चाहती हैं,
इसलिए उन्होंने कभी भी पैसों का भार पिता पर नहीं डाला।
लेकिन गृहिणी मां को मलाल है कि इस त्याग में
उनकी बेटियां १२वीं से ज्यादा नहीं पढ़ पाईं।

इन सभी बहनों के जज्बे और भाई के प्रति प्यार देख कर आँखे
भर आई ...















                                          ( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''

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