कई बीमारियां ऐसी होती हैं। जिसे हम खुद ही बुलावा देते हैं। कहने का मतलब यह है कि हमारी गलत जीवनशैली ही ऐसे रोगों को बढ़ावा देती है। एसिडिटी ऐसे ही रोगों में से एक है। एसिडिटी को चिकित्सकीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अम्ल पित्त कहते हैं। आज इससे हर दूसरा व्यक्ति या महिला पीडि़त है। एसिडिटी होने पर शरीर की पाचन प्रक्रिया ठीक नहीं रहती।
एसिडिटी का कारण?
आधुनिक विज्ञान के अनुसार आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्रवण होता है। सामान्य तौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है तथा भोजन नली के सम्पर्क में नही आता है। आमाशय तथा भोजन नली के जोड पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा कुछ खाते-पीते ही खुलती है। जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती है और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।इसकी वजह गलत खान-पान, आरामदायक जीवनशैली, प्रदूषण, चाय, कॉफी, धूम्रपान, अल्कोहल और कैफीनयुक्त पदार्थों का ज्यादा इस्तेमाल करना है।
एसिडिटी के लक्षण?
एसिडिटी के लक्षणों में हैं सीने और छाती में जलन। खाने के बाद या प्राय: सीने में दर्द रहता है, मुंह में खट्टा पानी आता है। इसके अलावा गले में जलन और अपचन भी इसके लक्षणों में शामिल होता है। जहां अपचन की वजह से घबराहट होती है, खट्टी डकारें आती हैं। वहीं खट्टी डकारों के साथ गले में जलन-सी महसूस होती है।
कुछ घरेलू उपचार-
1:हर तीन टाइम भोजन के बाद गुड जरुर खाएं। इसको मुंह में रखें और चबा चबा कर खा जाएं।
2:एक कप पानी उबालिये और उसमें एक चम्मच सौंफ मिलाइये। इसको रातभर के लिए ढंक कर रख दीजिये और सुबह उठ कर पानी छान लीजिये। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाइये और तीन टाइम भोजन के बाद इसको लीजिये।
3:एक गिलास गर्म पानी में एक चुटकी कालीमिर्च चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह सेवन करें। इसके साथ ही सदाल के रूप मे मूली को जरुर शामिल करें। उस पर काला नमक छिडक कर खाएं।
4:एक लौंग और एक इलायची ले कर पाउडर बना लें। इसको हर मील के बाद माउथफ्रेशनर के रूप में खाएं। इसको खाने से एसिडिटी भी सही होगी और मुंह से बदबू भी नहीं आएगी।
ऐसे करें बचाव-
1.समय पर भोजन करें और भोजन करने के बाद कुछ देर टहलें ।
2.अपने खाने में ताजे फल, सलाद, सब्जियों का सूप, उबली हुई सब्जी को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित अनाज खूब खाएं। ये विटामिन बी और ई का बेहतरीन स्रोत होते हैं जो शरीर से एसिडिटी को बाहर निकाल देते हैं।
3.खाना हमेशा चबा कर और जरूरत से थोड़ा कम ही खाएं। सदैव मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाले भोजन से बचें।
4.अपने रोजमर्रा के आहार में मट्ठा और दही शामिल करें।
5.शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज करें।
6.पानी खूब पिएं। याद रखें इससे न सिर्फ पाचन में मदद मिलती है, बल्कि शरीर से टॉक्सिन भी बाहर निकल जाते हैं।
7.खाने के बाद तुरंत पानी का सेवन न करें। इसका सेवन कम से कम आधे घंटे के बाद ही करें।
8.धूम्रपान, शराब से बचें।
9.पाइनेपल के जूस का सेवन करें, यह एन्जाइम्स से भरा होता है। खाने के बाद अगर पेट अधिक भरा व भारी महसूस हो रहा है, तो आधा गिलास ताजे पाइनेपल का जूस पीएं। सारी बेचैनी और एसिडिटी खत्म हो जाए
10.आंवले का सेवन करें हालांकि यह खट्टा होता है, लेकिन एसिडिटी के घरेलू उपचार के रूप में यह बहुत काम की चीज है।
11.गैस से फौरन राहत के लिए 2 चम्मच ऑंवला जूस या सूखा हुआ ऑंवला पाउडर और दो चम्मच पिसी हुई मिश्री ले लें और दोनों को पानी में मिलाकर पी जाएं।
एसिडिटी का कारण?
आधुनिक विज्ञान के अनुसार आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्रवण होता है। सामान्य तौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है तथा भोजन नली के सम्पर्क में नही आता है। आमाशय तथा भोजन नली के जोड पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा कुछ खाते-पीते ही खुलती है। जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती है और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।इसकी वजह गलत खान-पान, आरामदायक जीवनशैली, प्रदूषण, चाय, कॉफी, धूम्रपान, अल्कोहल और कैफीनयुक्त पदार्थों का ज्यादा इस्तेमाल करना है।
एसिडिटी के लक्षण?
एसिडिटी के लक्षणों में हैं सीने और छाती में जलन। खाने के बाद या प्राय: सीने में दर्द रहता है, मुंह में खट्टा पानी आता है। इसके अलावा गले में जलन और अपचन भी इसके लक्षणों में शामिल होता है। जहां अपचन की वजह से घबराहट होती है, खट्टी डकारें आती हैं। वहीं खट्टी डकारों के साथ गले में जलन-सी महसूस होती है।
कुछ घरेलू उपचार-
1:हर तीन टाइम भोजन के बाद गुड जरुर खाएं। इसको मुंह में रखें और चबा चबा कर खा जाएं।
2:एक कप पानी उबालिये और उसमें एक चम्मच सौंफ मिलाइये। इसको रातभर के लिए ढंक कर रख दीजिये और सुबह उठ कर पानी छान लीजिये। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाइये और तीन टाइम भोजन के बाद इसको लीजिये।
3:एक गिलास गर्म पानी में एक चुटकी कालीमिर्च चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह सेवन करें। इसके साथ ही सदाल के रूप मे मूली को जरुर शामिल करें। उस पर काला नमक छिडक कर खाएं।
4:एक लौंग और एक इलायची ले कर पाउडर बना लें। इसको हर मील के बाद माउथफ्रेशनर के रूप में खाएं। इसको खाने से एसिडिटी भी सही होगी और मुंह से बदबू भी नहीं आएगी।
ऐसे करें बचाव-
1.समय पर भोजन करें और भोजन करने के बाद कुछ देर टहलें ।
2.अपने खाने में ताजे फल, सलाद, सब्जियों का सूप, उबली हुई सब्जी को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित अनाज खूब खाएं। ये विटामिन बी और ई का बेहतरीन स्रोत होते हैं जो शरीर से एसिडिटी को बाहर निकाल देते हैं।
3.खाना हमेशा चबा कर और जरूरत से थोड़ा कम ही खाएं। सदैव मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाले भोजन से बचें।
4.अपने रोजमर्रा के आहार में मट्ठा और दही शामिल करें।
5.शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज करें।
6.पानी खूब पिएं। याद रखें इससे न सिर्फ पाचन में मदद मिलती है, बल्कि शरीर से टॉक्सिन भी बाहर निकल जाते हैं।
7.खाने के बाद तुरंत पानी का सेवन न करें। इसका सेवन कम से कम आधे घंटे के बाद ही करें।
8.धूम्रपान, शराब से बचें।
9.पाइनेपल के जूस का सेवन करें, यह एन्जाइम्स से भरा होता है। खाने के बाद अगर पेट अधिक भरा व भारी महसूस हो रहा है, तो आधा गिलास ताजे पाइनेपल का जूस पीएं। सारी बेचैनी और एसिडिटी खत्म हो जाए
10.आंवले का सेवन करें हालांकि यह खट्टा होता है, लेकिन एसिडिटी के घरेलू उपचार के रूप में यह बहुत काम की चीज है।
11.गैस से फौरन राहत के लिए 2 चम्मच ऑंवला जूस या सूखा हुआ ऑंवला पाउडर और दो चम्मच पिसी हुई मिश्री ले लें और दोनों को पानी में मिलाकर पी जाएं।
( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''
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They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''
யாம் பெற்ற இன்பம் பெருக வையகம்
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