Friday, 7 March 2014

डायबिटीज -

डायबिटीज -
- आजकल टीवी में तरह तरह के विज्ञापन आते रहते है की इन दवाइयों का उपयोग करने से आप डायबिटीज से छुटकारा पा सकेंगे. इसमें कई आयुर्वेदिक है कई एलोपेथी के .
- डायबिटीज से परेशान व्यक्ति सब तरह की दवाइयां आजमाता है पर डायबिटीज से छुटकारा नहीं पा पाता क्योंकि यह एक बहुत बड़ा मिथक है की डायबिटीज एक रोग है.
- डायबिटीज एक स्थिति है जिसमे शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग ने बगावत कर दी है . आसपास बहुत शकर है , ऊर्जा है पर शरीर उसे इस्तेमाल नहीं कर पाता.
- वह क्या कारण है जो हमारे शरीर का ही एक अंग हमारा साथ नहीं देता . वह है हमारी आत्मा जो हमारे विचार निरंतर झेलती है. कुछ नकारात्मक विचार जो हम लगातार करते रहते है हमारे किसी ना किसी नाज़ुक ग्रंथी को या तो सुस्त या अधिक कार्यरत कर देते है.
- जीवनी शक्ति उन अंगों तक पहुँच नहीं पाती. इस लिए ध्यान अत्यावश्यक है. डायबिटीज के मरीज़ रोज़ भोजन से पहले शांत चित्त हो कर विचार करे की प्रभु की दिव्य शक्ति लीवर को प्राप्त हो रही है जिससे हमारे रक्त में जो शर्करा है वह कम हो रही है.
- ध्यान करते हुए हमें स्वयं को परेशान करने वाले विचारों को फेंक देना है. जो पुराने और भुला दिए गए नकारात्मक विचार है उन्हें भी हटाना है.
- ये नकारात्मक विचार किसी के लिए गुस्सा , नफरत , किसी का दिया आघात , कोई कमी का अनुभव आदि हो सकते है.
- कभी बिना भूख के खाना और कभी भूख लगने पर भी ना खाना दोनों ही गलत है.
- कई दिनों के उपवास जिसमे चाय कॉफ़ी पी जाए , साबूदाना , वनस्पति घी , रबड़ी , पेढ़े , सफ़ेद शकर , तले हुए कंद आदि लिए जाए गलत है.
- उपवास जिसमे एसिडिटी हो गलत है.
- पॉलिश वाले चावल , सफ़ेद शकर, मैदा, आदि पदार्थों का अधिक सेवन कभी ना करे.
- भोजन प्रेशर कूक ना करे. हो सके तो मिटटी के बर्तन में उबला अन्न ले. एल्युमिनियम में तो बिलकुल ना पकाए.
- वात प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाने के लिए अनुलोम विलोम और कपालभाती प्राणायाम अत्यावश्यक है.
- पेट और कमर के आसपास कभी चर्बी जमा ना होने दे. यह डायबिटीज को जन्म देती है.
- सभी प्रकार के रस वाले और हर प्रकार से खाए जाने वाले अन्न ले.
- ज़मीन पर बैठ कर हाथों से भोजन ले. भोजन के पहले प्रार्थना अवश्य करे.
- गौसेवा करे और पंचगव्य का सेवन करे.

 परोपकाराय फलन्ति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
 परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकाराय इदं शरीरम्।।
            
 
 
                                          ( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''
யாம் பெற்ற இன்பம் பெருக  வையகம் 
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