एक थी नीरजा भनोत ..........
5 सितम्बर 1986 को आधुनिक भारत की एक विरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 400 यात्रियों को जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया .........
भारत के कितने नवयुवक और नवयुवतियां उसका नाम जानते है .....
कैटरिना कैफ, करीना कपूर, प्रियंका चैपड़ा, दीपिका पादुकोड़, विद्याबालन बनने की होड़ लगाने वाली युवतीयां ....
क्या नीरजा भनोत का नाम जानती है .....????
नहीं सुना न ये नाम .....
इस महान विरांगना के बारे में ......
7 सितम्बर 1964 को चंड़ीगढ़ के हरीश भनोत जी के यहाँ जब एक बच्ची का जन्म हुआ था तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान इस बच्ची को मिलेगा ......
बचपन से ही इस बच्ची को वायुयान में बैठने और आकाश में उड़ने की प्रबल इच्छा थी ......
नीरजा ने अपनी वो इच्छा एयर लाइन्स पैन एम ज्वाइन करके पूरी की ....
16 जनवरी 1986 को नीरजा को आकाश छूने वाली इच्छा को वास्तव में पंख लग गये थे......
नीरजा Panam एयरलाईन में बतौर एयर होस्टेज का काम करने लगी .....
5 सितम्बर 1986 की वो घड़ी आ गयी थी जहाँ नीरजा के जीवन की असली परीक्षा की बारी थी .....
पैन एम 73 विमान करांची, पाकिस्तान के एयरपोर्ट पर अपने पायलेट का इंतजार कर रहा था .....
विमान में लगभग 400 यात्री बैठे हुये थे .....
अचानक 4 आतंकवादियों ने पूरे विमान को गन प्वांइट पर ले लिया .....
उन्होंने पाकिस्तानी सरकार पर दबाव बनाया कि वो जल्द में जल्द विमान में पायलट को भेजे .....
किन्तु पाकिस्तानी सरकार ने मना कर दिया .....
तब आतंकियाे ने नीरजा और उसकी सहयोगियों को बुलाया कि वो सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित करे ताकि वो किसी अमेरिकन नागरिक को मारकर पाकिस्तान पर दबाव बना सके ......
नीरजा ने सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित किये और विमान में बैठे 5 अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट छुपाकर बाकी सभी आतंकियों को सौंप दिये ......
उसके बाद आतंकियों ने एक ब्रिटिश को विमान के गेट पर लाकर पाकिस्तानी सरकार को धमकी दी कि यदि पायलट नहीं भेजे तो वह उसको मार देगे .....
किन्तु नीरजा ने उस आतंकी से बात करके उस ब्रिटिश नागरिक को भी बचा लिया .....
धीरे-धीरे 16 घंटे बीत गये ....
पाकिस्तान सरकार और आतंकियों के बीच बात का कोई नतीजा नहीं निकला .....
अचानक नीरजा को ध्यान आया कि प्लेन में फ्यूल किसी भी समय समाप्त हो सकता है
और उसके बाद अंधेरा हो जायेगा .....
जल्दी उसने अपनी सहपरिचायिकाओं को यात्रियों को खाना बांटने के लिए कहा और
साथ ही विमान के आपातकालीन द्वारों के बारे में समझाने वाला कार्ड भी देने को कहा ....
नीरजा को पता लग चुका था कि आतंकवादी सभी यात्रियों को मारने की सोच चुके हैं ....
उसने सर्वप्रथम खाने के पैकेट आतंकियों को ही दिये क्योंकि उसका सोचना था कि भूख से पेट भरने के बाद शायद वो शांत दिमाग से बात करे .....
इसी बीच सभी यात्रियों ने आपातकालीन द्वारों की पहचान कर ली ....
नीरजा ने जैसा सोचा था वही हुआ ....
प्लेन का फ्यूल समाप्त हो गया और चारो ओर अंधेरा छा गया ....
नीरजा तो इसी समय का इंतजार कर रही थी।
तुरन्त उसने विमान के सारे आपातकालीन द्वार खोल दिये योजना के अनुरूप ही यात्री तुरन्त उन द्वारों के नीचे कूदने लगे ....
वहीं आतंकियों ने भी अंधेरे में फायरिंग शुरू कर दी ....
किन्तु नीरजा ने अपने साहस से लगभग सभी यात्रियों को बचा लिया था ....
कुछ घायल अवश्य हो गये थे किन्तु ठीक थे
अब विमान से भागने की बारी नीरजा की थी
किन्तु तभी उसे बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी .....
दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना के कमांडो भी विमान में आ चुके थे ....
उन्होंने तीन आतंकियों को मार गिराया ....
इधर नीरजा उन तीन बच्चों को खोज चुकी थी और उन्हें लेकर विमान के आपातकालीन द्वार की ओर बढ़ने लगी कि अचानक बचा हुआ 4 आतंकवादी उसके सामने आ खड़ा हुआ ....
नीरजा ने बच्चों को आपातकालीन द्वार की ओर धकेल दिया और स्वयं उस आतंकी से भिड़ गई......
कहाँ वो दुर्दांत आतंकवादी और कहाँ वो 23 वर्ष की पतली-दुबली लड़की .....
आतंकी ने कई गोलियां उसके सीने में उतार डाली .....
नीरजा ने अपना बलिदान दे दिया .....
उस 4 आतंकी को भी पाकिस्तानी कमांडों ने मार गिराया
किन्तु वो नीरजा को न बचा सके
नीरजा भी अगर चाहती तो वो आपातकालीन द्वार से सबसे पहले भाग सकती थी ....
किन्तु वो भारत माता की सच्ची बेटी थी .....
उसने सबसे पहले सारा विमान खाली कराया और स्वयं को उन दुर्दांत राक्षसों के हाथों सौंप दिया .....
नीरजा के बलिदान के बाद भारत सरकार ने नीरजा को सर्वोच्च नागरिक सम्मान अशोक चक्र प्रदान किया
नीरजा वास्तव में स्वतंत्र भारत की महानतम विरांगना है .....
ऐसी विरागना को कोटि-कोटि नमन .....
(2004 में नीरजा भनोत पर टिकट भी जारी हो चुका है )...
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''
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