Monday 15 September 2014

गुजराती बुजुर्ग ने दिया ट्रेन चलने की हवा से बिजली बनाने का आइडिया

गुजराती बुजुर्ग ने दिया ट्रेन चलने की हवा से बिजली बनाने का आइडिया

नवभारतटाइम्स.कॉम | Sep 15, 2014, 05.07PM IST

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नई दिल्ली

पीएमओ (प्राइम मिनिस्टर ऑफिस) और इंडियन रेलवे इन दिनों गुजरात के एक बुजुर्ग शख्स के अजीबोगरीब आइडिए से जूझ रहे हैं। 81 साल के अहमादाबाद निवासी विपिन त्रिवेदी ने पीएमओ को सुझाव दिया है कि रेलवे ट्रैक पर पवन चक्कियां लगाकर बिजली पैदा की जा सकती है। इनका कहना है कि ट्रेन चलने पर पैदा होने वाली तेज हवा का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जाना चाहिए।

विपिन त्रिवेदी बैंक ऑफ बड़ौदा की ऐग्रीकल्चर ऐंड रूरल डेवलपमेंट विंग में काम कर चुके हैं। उन्होंने पीएमओ को लिखे लेटर में यह आइडिया सुझाया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पीएमओ ने यह मामला रेलवे मंत्रालय को भेजकर इस आइडिए को अमल में लाने की संभावना और इसकी संभावित लागत पर जवाब मांगा है। यही नहीं, रेलवे मंत्रालय से इसकी नियमितअपडेट देने को भी कहा गया है।

पीएमओ से लेटर मिलने के बाद से ही रेलवे मंत्रालय के अधिकारी विपिन त्रिवेदी के साथ बातचीत में लगे हैं। हालांकि, रेलवे अधिकारियों ने उन्हें बता दिया है कि इस तरह की तकनीक विकसित करना संभव नहीं है लेकिन, उन्हें रेलवे की ओर से तकनीकी जानकारियां लेने को दिल्ली बुलाया जा सकता है। त्रिवेदी का कहना है, एक दिन रेलवे ट्रैक के किनारे टहलते हुए उन्हें यह आइडिया आया। उन्होंने ये आइडिया नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात पावर सेक्टर में काम कर चुके और इस समय पीएमओ में अडिशनल प्रिंसिपल सेक्रटरी के तौर पर तैनात अपने दोस्त के परिचित को भेजा।

त्रिवेदी का कहना है कि अब वह अपने दिल्ली बुलाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। रेलवे अधिकारियों की मानें तो मंत्रालय में किसी को भी त्रिवेदी के आइडिए का सच होना मुश्किल लग रहा है। उन्होंने त्रिवेदी के लेटर के जवाब में उन्हें लिखा, एक ट्रेन सिर्फ 20 सेकेंड में एक पवन चक्की को पार कर लेगी। पवन चक्की से हर 15 मिनट में भी एक ट्रेन गुजरगी तो दिन भर में पवन चक्की सिर्फ 25 मिनट के लिए चल सकेगी। इसमें जितनी बिजली पैदा होगी उससे कहीं ज्यादा लागत आएगी। हालांकि, इसके बाद मिले भेजे लेटर में मंत्रालय के अधिकारियों ने त्रिवेदी से उनके इस आइडिए के तकनीकी पहलुओं पर आगे भी चर्चा करने की बात कही है।

रेलवे अधिकारी इस बारे में पीएमओ को भी जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है, देश में किसी को भी बेहतरी के लिए आइडिया आ सकता है और वह इस बारे में पीएमओ को लिख सकता है। उनके अमल में आने की संभावनाओं की जांच करना हमारा काम है। आईआईएम इलाहाबाद में प्रफेसर और वैकल्पिक ऊर्जा के विशेषज्ञ अनिल गुप्ता का भी कहना है कि यह आइडिया अमल में लाने लायक नहीं है। रेलवे भी पवन चक्कियां लगाने, बिजली बनाने और बांटने का काम नहीं करेगा।
HOWEVER, IF THE FRICTION OF THE TRAIN ON THE RAILWAY TRACK IS USED IT WILL NOT COST ANY ADDITIONAL INFRASTRUCTURAL EXPENDITURE OTHER THAN ONE TIME EXPENDITURE OF INSTALLING SENSORS CONNECTED TO A BATTERY WHICH WILL BE CHARGED THROUGHOUT THE DAY AND THE ENERGY SAVED CAN BE USED FOR LIGHTING SIGNALS.

 परोपकाराय फलन्ति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
 परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकाराय इदं शरीरम्।।
            
 
 
                                          ( hari krishnamurthy K. HARIHARAN)"
'' When people hurt you Over and Over
think of them as Sand paper.
They Scratch & hurt you,
but in the end you are polished and they are finished. ''
யாம் பெற்ற இன்பம் பெருக  வையகம் 
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